हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 3.12.8

अध्याय 3 → खंड 12 → मंत्र 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 3)

सामवेद: | खंड: 12
आ त्वा गिरो रथीरिवास्थुः सुतेषु गिर्वणः । अभि त्वा समनूषत गावो वत्सं न धेनवः ॥ (८)
हे इंद्र! आप उपासना के योग्य हैं. सोमयज्ञ में हमारी प्रार्थनाएं वैसे ही आप के पास पहुंचती हैं, जैसे गाएं झटपट अपने बछड़ों के पास पहुंचती हैं और योद्धा रथ पर चढ़ कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचता है. (८)
O Indra! You are worthy of worship. In Somyagya, our prayers reach you just as cows reach their calves quickly and the warrior climbs on a chariot and reaches a safe place. (8)