सामवेद (अध्याय 4)
वेत्था हि निरृतीनां वज्रहस्त परिवृजम् । अहरहः शुन्ध्युः परिपदामिव ॥ (६)
हे इंद्र! आप विघ्नों को दूर करना जानते हैं. आप पवित्रतापूर्वक आपत्तियों का निराकरण करते हैं. आप रोग निवारक (चिकित्सक) मनुष्य के समान सभी आपत्तियों को दूर कर सकते हैं. (६)
O Indra! You know how to remove obstacles. You piously resolve objections. You can remove all objections similar to the disease preventive (doctor) human being. (6)