हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 6.2.4

अध्याय 6 → खंड 2 → मंत्र 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 6)

सामवेद: | खंड: 2
इन्द्र वाजेषु नोऽव सहस्रप्रधनेषु च । उग्र उग्राभिरूतिभिः ॥ (४)
हे इंद्र! आप अत्यंत बलवान हैं. आप को कोई नहीं हरा सकता. आप छोटे और बड़े सभी प्रकार के युद्धों में हमारी रक्षा कीजिए. (४)
O Indra! You are very strong. No one can beat you. You protect us in all kinds of wars, big and small. (4)