सामवेद (अध्याय 6)
प्रथश्च यस्य सप्रथश्च नामानुष्टुभस्य हविषो हविर्यत् । धातुर्द्युतानात्सवितुश्च विष्णो रथन्तरमा जभारा वसिष्ठः ॥ (५)
वसिष्ठ के पुत्र प्रथ एवं भरद्वाज के पुत्र सप्रथ के लिए अनुष्टुप् छंद में स्तुति करते हैं. उन के लिए श्रेष्ठ हवि समर्पित करते हैं. वसिष्ठ ऋषि ने रथंतर नामक सोम को धाता और सब को उत्पन्न करने वाले विष्णु से प्राप्त किया. (५)
Prath, the son of Vasishtha, and Sapratha, the son of Bharadwaj, praise him in anushtup verses. Dedicate the best to them. Vasishtha Rishi received Soma named Rathantar from Vishnu, who created and created everyone. (5)