हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 6.4.5

अध्याय 6 → खंड 4 → मंत्र 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 6)

सामवेद: | खंड: 4
पुरुष एवेदँ सर्वं यद्भूतं यच्च भाव्यम् । पादोऽस्य सर्वा भूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि ॥ (५)
भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों का कर्ता पूर्ण पुरुष ही है. इस के तीन पैर अमर स्वर्गलोक में हैं. इस के शेष चौथे चरण में सारे प्राणी हैं. (५)
The creator of the past, present and future is the complete man. Its three legs are in immortal paradise. The remaining fourth stage of this is all beings. (5)