हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.108.3

मंडल 1 → सूक्त 108 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 108
च॒क्राथे॒ हि स॒ध्र्य१॒॑ङ्नाम॑ भ॒द्रं स॑ध्रीची॒ना वृ॑त्रहणा उ॒त स्थः॑ । तावि॑न्द्राग्नी स॒ध्र्य॑ञ्चा नि॒षद्या॒ वृष्णः॒ सोम॑स्य वृष॒णा वृ॑षेथाम् ॥ (३)
हे इंद्र और अग्नि! तुम दोनों ने अपने कल्याणकारक दोनों नामों को संयुक्त कर लिया है. हे वृत्रहंताओ! तुम वृत्रवध में एक साथ थे. हे कामवर्षियो! तुम साथ-साथ बैठकर ही सोम को अपने उदर में स्थान दो. (३)
O Indra and Agni! You have both combined your two welfare names. O you, you are afraid! You were together in the circle. O kamayars! You sit together and place the mon in your stomach. (3)