ऋग्वेद (मंडल 1)
उदी॑र्ध्वं जी॒वो असु॑र्न॒ आगा॒दप॒ प्रागा॒त्तम॒ आ ज्योति॑रेति । आरै॒क्पन्थां॒ यात॑वे॒ सूर्या॒याग॑न्म॒ यत्र॑ प्रति॒रन्त॒ आयुः॑ ॥ (१६)
हे मनुष्यो! उठो, हमारे शरीर का प्रेरक जीव आ गया है. अंधकार चला गया एवं प्रकाश आ रहा है. उषा सूर्य के गमन के लिए रास्ता साफ करती है. हे उषा! हम उस देश में जाते हैं, जिसमें तुम अन्न की वृद्धि करती हो. (१६)
O men! Get up, the inspiring organism of our body has come. The darkness is gone and the light is coming. Usha clears the way for the sun to move. Oh, Usha! We go to the country in which you grow food. (16)