हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.118.10

मंडल 1 → सूक्त 118 → श्लोक 10 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 118
ता वां॑ नरा॒ स्वव॑से सुजा॒ता हवा॑महे अश्विना॒ नाध॑मानाः । आ न॒ उप॒ वसु॑मता॒ रथे॑न॒ गिरो॑ जुषा॒णा सु॑वि॒ताय॑ यातम् ॥ (१०)
हे नेता एवं शोभनजन्म वाले अश्विनीकुमारो! धन की याचना करते हुए हम तुम्हें रक्षा के लिए बुलाते हैं. तुम हमारी स्तुतियों को स्वीकार करके हमें सुख देने के लिए अपने धनयुक्त रथ द्वारा हमारे सामने आओ. (१०)
O leader and shobhanjan-born Ashwinikumaro! While asking for money, we call you to protect. You come before us by your rich chariot to give us happiness by accepting our praises. (10)