हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.119.6

मंडल 1 → सूक्त 119 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 119
यु॒वं रे॒भं परि॑षूतेरुरुष्यथो हि॒मेन॑ घ॒र्मं परि॑तप्त॒मत्र॑ये । यु॒वं श॒योर॑व॒सं पि॑प्यथु॒र्गवि॒ प्र दी॒र्घेण॒ वन्द॑नस्ता॒र्यायु॑षा ॥ (६)
तुमने रथ को चारों ओर के उपद्रव से बचाया, अत्रि ऋषि को जलाने के लिए असुरों द्वारा लगाई हुई आग शीतल जल से बुझाई, शंयु की गाय को दुधारू बनाया एवं वंदन ऋषि को दीर्घ आयु दी. (६)
You saved the chariot from the disturbance around, extinguished the fire set by the asuras to burn the sage Atri with cold water, made the cow of The Shanyu a milch and gave a long life to the sage Vrandan. (6)