हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.110.3

मंडल 10 → सूक्त 110 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 110
आ॒जुह्वा॑न॒ ईड्यो॒ वन्द्य॒श्चा या॑ह्यग्ने॒ वसु॑भिः स॒जोषाः॑ । त्वं दे॒वाना॑मसि यह्व॒ होता॒ स ए॑नान्यक्षीषि॒तो यजी॑यान् ॥ (३)
हे देवों को बुलाने वाले, प्रार्थनीय एवं वंदना के योग्य अग्नि! तुम वसुओं के साथ पधारो. हे महान्‌ अग्नि! तुम देवों के होता हो. हे अतिशय यज्ञकर्ता अग्नि! तुम हमारी प्रार्थना सुनकर इन देवों का यजन करो. (३)
O agni that calls the gods, praiseworthy and worthy of worship! You come with the vasuas. O great agni! You are gods. O agni, the most sacrificial agni! Listen to our prayers and worship these gods. (3)