ऋग्वेद (मंडल 10)
ब॒ह्वीः समा॑ अकरम॒न्तर॑स्मि॒न्निन्द्रं॑ वृणा॒नः पि॒तरं॑ जहामि । अ॒ग्निः सोमो॒ वरु॑ण॒स्ते च्य॑वन्ते प॒र्याव॑र्द्रा॒ष्ट्रं तद॑वाम्या॒यन् ॥ (४)
मैंने इस यज्ञस्थान में अनेक वर्ष बिताए हैं. मैं यहां इंद्र का वरण करता हुआ अपने पिता अरणि को छोड़ता हूं. मेरे छिप जाने पर अग्नि, सोम एवं वरुण का पतन होता है तथा राष्ट्र में अव्यवस्था फैल जाती है. तब मैं आकर असुरों से रक्षा करता हूं. (४)
I have spent many years in this yagnasthan. I leave my father Arani here, selecting Indra. When I go into hiding, Agni, Som and Varuna fall and chaos spreads in the nation. Then I come and protect from the asuras. (4)