हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.127.6

मंडल 10 → सूक्त 127 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 127
या॒वया॑ वृ॒क्यं१॒॑ वृकं॑ य॒वय॑ स्ते॒नमू॑र्म्ये । अथा॑ नः सु॒तरा॑ भव ॥ (६)
हे रात्रि! तुम भेड़िए, भेड़िए की पत्नी एवं चोर को हमसे दूर करो. तुम हमारे लिए विशेष रीति से सुखकारी बनो. (६)
O night! Take away from us the wolf, the wolf's wife and the thief. Be especially pleasing to us. (6)