ऋग्वेद (मंडल 10)
यं ते॑ श्ये॒नश्चारु॑मवृ॒कं प॒दाभ॑रदरु॒णं मा॒नमन्ध॑सः । ए॒ना वयो॒ वि ता॒र्यायु॑र्जी॒वस॑ ए॒ना जा॑गार ब॒न्धुता॑ ॥ (५)
हे इंद्र! श्येन तुम्हारे लिए जो सोम अपने चरण से पकड़कर लाए हैं, वह शोभन, वाचकरहित, लाल रंग का एवं यज्ञ द्वारा अन्न को उत्पन्न करने वाला है. सोम के लिए अन्न एवं जीवनयोग्य आयु दो एवं इसके साथ मित्रता करो. (५)
O Indra! The mon who has brought for you from his feet, Sheen, who has been caught from his feet, is a bearer, readerless, red-colored and is going to produce food through yajna. Give food and a lifeable age for Mon and befriend him. (5)