ऋग्वेद (मंडल 10)
विश्वे॑ अ॒द्य म॒रुतो॒ विश्व॑ ऊ॒ती विश्वे॑ भवन्त्व॒ग्नयः॒ समि॑द्धाः । विश्वे॑ नो दे॒वा अव॒सा ग॑मन्तु॒ विश्व॑मस्तु॒ द्रवि॑णं॒ वाजो॑ अ॒स्मे ॥ (१३)
आज सभी मरुत् सब प्रकार से हमारी रक्षा करें एवं सभी अग्नियां प्रज्वलित हों. सभी देव हमारी रक्षा के लिए आवें तथा सब प्रकार के अन्न व संपत्ति हमें प्राप्त हों. (१३)
Today, may all the deserts protect us in every way and may all the agnis be ignited. May all gods come to protect us and may we receive all kinds of food and property. (13)