हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.79.4

मंडल 10 → सूक्त 79 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 79
तद्वा॑मृ॒तं रो॑दसी॒ प्र ब्र॑वीमि॒ जाय॑मानो मा॒तरा॒ गर्भो॑ अत्ति । नाहं दे॒वस्य॒ मर्त्य॑श्चिकेता॒ग्निर॒ङ्ग विचे॑ताः॒ स प्रचे॑ताः ॥ (४)
हे द्यावा-पृथिवी! मैं तुमसे सच कह रहा हूं कि अरणियों से उत्पन्न यह अग्नि अपने माता-पिता अर्थात्‌ दोनों अरणियों को खा लेते हैं, मैं मनुष्य होने के कारण अग्ने देव के विषय में नहीं जानता. हे अग्नि! तुम विविध एवं उत्तम ज्ञान वाले हो. (४)
This is the earth! I am telling you the truth that this agni from the aranis eats up its parents, that is, both the aranis, I do not know about The Agne God, being a human being. O agni! You are diverse and well-known. (4)