हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.39.1

मंडल 2 → सूक्त 39 → श्लोक 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 39
ग्रावा॑णेव॒ तदिदर्थं॑ जरेथे॒ गृध्रे॑व वृ॒क्षं नि॑धि॒मन्त॒मच्छ॑ । ब्र॒ह्माणे॑व वि॒दथ॑ उक्थ॒शासा॑ दू॒तेव॒ हव्या॒ जन्या॑ पुरु॒त्रा ॥ (१)
हे अश्विनीकुमारो! तुम फेंके हुए पत्थर के समान शत्रु को बाधा पहुंचाओ. जिस प्रकार पक्षी फल वाले वृक्ष पर जाते हैं, उसी प्रकार तुम धन वाले यजमान के पास जाओ. तुम मंत्र उच्चारण करने वाले ब्रह्मा एवं जनपद में राजा द्वारा भेजे गए दूतों के समान अनेक लोगों द्वारा बुलाने योग्य हो. (१)
O Ashwinikumaro! You hinder the enemy like a stone thrown. Just as the birds go to the fruit tree, so do you go to the host of wealth. You deserve to be called by many people like brahma who chants mantras and messengers sent by the king to the district. (1)