हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 3.53.19

मंडल 3 → सूक्त 53 → श्लोक 19 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 3)

ऋग्वेद: | सूक्त: 53
अ॒भि व्य॑यस्व खदि॒रस्य॒ सार॒मोजो॑ धेहि स्पन्द॒ने शिं॒शपा॑याम् । अक्ष॑ वीळो वीळित वी॒ळय॑स्व॒ मा यामा॑द॒स्मादव॑ जीहिपो नः ॥ (१९)
हे इंद्र! हमारे रथ के सार रूप खदिर तथा शीशम के काठ को दृढ़ करो. हे जुए! हमने तुम्हें दृढ़ बनाया है. तुम दृढ़ बनो. इस चलते हुए रथ से हमें गिरा नहीं देना. (१९)
O Indra! Strengthen the essence of our chariot, khadir and shisham's saddle. Hey yoke! We have made you firm. You be firm. Don't let us fall from this moving chariot. (19)