ऋग्वेद (मंडल 3)
मि॒त्रो दे॒वेष्वा॒युषु॒ जना॑य वृ॒क्तब॑र्हिषे । इष॑ इ॒ष्टव्र॑ता अकः ॥ (९)
दिव्य गुण वाले मनुष्यों में जो व्यक्ति कुश छेदन करता है, उसे मित्र देव कल्याणकारी अन्न देते हैं. (९)
The person who pierces kusha in a man of divine quality, the friend God gives him the welfare food. (9)