हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 3.59.9

मंडल 3 → सूक्त 59 → श्लोक 9 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 3)

ऋग्वेद: | सूक्त: 59
मि॒त्रो दे॒वेष्वा॒युषु॒ जना॑य वृ॒क्तब॑र्हिषे । इष॑ इ॒ष्टव्र॑ता अकः ॥ (९)
दिव्य गुण वाले मनुष्यों में जो व्यक्ति कुश छेदन करता है, उसे मित्र देव कल्याणकारी अन्न देते हैं. (९)
The person who pierces kusha in a man of divine quality, the friend God gives him the welfare food. (9)