ऋग्वेद (मंडल 5)
वयो॒ न ये श्रेणीः॑ प॒प्तुरोज॒सान्ता॑न्दि॒वो बृ॑ह॒तः सानु॑न॒स्परि॑ । अश्वा॑स एषामु॒भये॒ यथा॑ वि॒दुः प्र पर्व॑तस्य नभ॒नूँर॑चुच्यवुः ॥ (७)
हे मरुतो! जिस तरह पंक्ति बनाकर उड़ने वाले पक्षी ऊंचे और विशाल पर्वत के ऊपर बलपूर्वक उड़ते हुए समस्त आकाश में उड़ते हैं, उसी प्रकार तुम भी उड़ते हो. यह बात देवता और मनुष्य दोनों ही जानते हैं कि तुम्हारे घोड़े बादलों से पानी गिराते हैं. (७)
O Maruto! Just as the birds that fly in a row fly forcefully over a high and huge mountain and fly all over the sky, so do you fly. Both gods and men know that your horses drop water from the clouds. (7)