हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 5.74.7

मंडल 5 → सूक्त 74 → श्लोक 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 5)

ऋग्वेद: | सूक्त: 74
को वा॑म॒द्य पु॑रू॒णामा व॑व्ने॒ मर्त्या॑नाम् । को विप्रो॑ विप्रवाहसा॒ को य॒ज्ञैर्वा॑जिनीवसू ॥ (७)
हे अन्नस्वामी अश्विनीकुमारो! आज कीन मनुष्य तुम्हारी सबसे अधिक सेवा करता है? हेज्ञानियों द्वारा शिरोधार्य! तुम्हें यज्ञों द्वारा कौन प्रसन्न करता है. (७)
O Annaswamy Ashwinikumaro! What man serves you the most today? Heady by the wise! Who pleases you by the sacrifices? (7)