ऋग्वेद (मंडल 6)
विश्वे॑ दे॒वा ऋ॑ता॒वृध॑ ऋ॒तुभि॑र्हवन॒श्रुतः॑ । जु॒षन्तां॒ युज्यं॒ पयः॑ ॥ (१०)
यज्ञ को बढ़ाने वाले एवं विशेषविशेष कालों पर स्तोत्र सुनने वाले विश्वेदेव अपने योग्य दूध स्वीकार करें. (१०)
Viswedev, who enhances the yagna and listens to hymns on special occasions, accept his worthy milk. (10)