हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 6.60.10

मंडल 6 → सूक्त 60 → श्लोक 10 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 6)

ऋग्वेद: | सूक्त: 60
तमी॑ळिष्व॒ यो अ॒र्चिषा॒ वना॒ विश्वा॑ परि॒ष्वज॑त् । कृ॒ष्णा कृ॒णोति॑ जि॒ह्वया॑ ॥ (१०)
हे स्तोता! उन अग्नि की स्तुति करो जो अपनी लपटों से सभी वनों को घेर लेते हैं एवं अपनी जीभ से उन्हें काला कर देते हैं. (१०)
This is the hymn! Praise the agnis that surround all the forests with their flames and blacken them with their tongues. (10)