ऋग्वेद (मंडल 7)
प्रति॑ के॒तवः॑ प्रथ॒मा अ॑दृश्रन्नू॒र्ध्वा अ॑स्या अ॒ञ्जयो॒ वि श्र॑यन्ते । उषो॑ अ॒र्वाचा॑ बृह॒ता रथे॑न॒ ज्योति॑ष्मता वा॒मम॒स्मभ्यं॑ वक्षि ॥ (१)
हे उषा! तुमसे पहले उत्पन्न एवं तुम्हारा ज्ञान कराने वाले प्रकाश दिखाई दे रहे हैं. तुम्हें प्रकट करने वाली किरणें सब ओर फैल रही हैं. हमारे सामने वर्तमान ज्योतियुक्त एवं विशाल रथ द्वारा हमारे लिए उत्तम धन लाओ. (१)
Hey Usha (Morning)! The light born before you and giving your knowledge is visible. The rays revealing you are spreading everywhere. Bring good wealth to us through the present lit and huge chariot in front of us. (1)