हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.52.1

मंडल 8 → सूक्त 52 → श्लोक 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 52
स पू॒र्व्यो म॒हानां॑ वे॒नः क्रतु॑भिरानजे । यस्य॒ द्वारा॒ मनु॑ष्पि॒ता दे॒वेषु॒ धिय॑ आन॒जे ॥ (१)
प्रमुख एवं पूजनीय यजमानों को यज्ञकम में सुंदर इंद्र आते हैं. देवों के मध्य में प्रजाओं के पालक मनु ने ही इंद्र को पाने का द्वार प्राप्त किया था. (१)
The chief and revered hosts come to the yagnakam beautiful Indra. In the midst of the devas, it was Manu, the guardian of the people, who had received the door to attain Indra. (1)