हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 58
प्रप्र॑ वस्त्रि॒ष्टुभ॒मिषं॑ म॒न्दद्वी॑रा॒येन्द॑वे । धि॒या वो॑ मे॒धसा॑तये॒ पुरं॒ध्या वि॑वासति ॥ (१)
हे अध्वर्युगण! तुम वीरों को हर्षित करने वाले इंद्र के लिए तीन स्तंभों से युक्त अन्न का संग्रह करो. इंद्र परम बुद्धियुक्त यज्ञकर्म द्वारा यज्ञ आरंभ करने के लिए तुम्हारा सत्कार करते हैं. (१)
O teacher! You collect food containing three pillars for Indra, who makes the heroes rejoice. Indra welcomes you to begin the yajna by the most intelligent yajnakarma. (1)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 58
न॒दं व॒ ओद॑तीनां न॒दं योयु॑वतीनाम् । पतिं॑ वो॒ अघ्न्या॑नां धेनू॒नामि॑षुध्यसि ॥ (२)
हे यजमानो! उषाओं को उत्पन्न करने वाले, नदियों को शब्दायमान करने वाले एवं अवध्य गायों के पालक इंद्र को बुलाओ. तुम गायों के दूध की इच्छा करते हो. (२)
O hosts! Call Indra, the creator of the ushas, the one who speaks the rivers and the guardian of the avadhya cows. You desire the milk of cows. (2)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 58
ता अ॑स्य॒ सूद॑दोहसः॒ सोमं॑ श्रीणन्ति॒ पृश्न॑यः । जन्म॑न्दे॒वानां॒ विश॑स्त्रि॒ष्वा रो॑च॒ने दि॒वः ॥ (३)
वे चितकबरे रंग की गाएं तीनों सवनों में इंद्र से संबंधित सोमरस को अपने दूध से मिश्रित करती हैं जो देवों के जन्मस्थान एवं आदित्य के मनपसंद द्युलोक में प्रवेश कर सकती हैं एवं जिनके दूध से कुआं भर सकता है. (३)
They sing the chitkabare colours in all the three sawans mix the Somras related to Indra with their milk, which can enter the birthplace of the devas and the favorite dulok of Aditya and whose milk can fill the well. (3)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 58
अ॒भि प्र गोप॑तिं गि॒रेन्द्र॑मर्च॒ यथा॑ वि॒दे । सू॒नुं स॒त्यस्य॒ सत्प॑तिम् ॥ (४)
गायों के पालक, यज्ञ के पुत्र एवं साधुओं का पालन करने वाले इंद्र की स्तुति उसी प्रकार करो, जिस प्रकार वे यज्ञ के प्रति जाने का रास्ता जान सकें. (४)
Praise Indra, the guardian of the cows, the son of the yajna and the one who follows the sadhus, in the same way that they know the way to go towards the yajna. (4)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 58
आ हर॑यः ससृज्रि॒रेऽरु॑षी॒रधि॑ ब॒र्हिषि॑ । यत्रा॒भि सं॒नवा॑महे ॥ (५)
दीप्तिशाली एवं हरितवर्ण के अश्च इंद्र को कुश पर स्थापित करें. हम वहां स्थित इंद्र की स्तुति करेंगे. (५)
Install Indra, the assh indra of the bright and green golden, on the kusha. We will praise Indra located there. (5)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 58
इन्द्रा॑य॒ गाव॑ आ॒शिरं॑ दुदु॒ह्रे व॒ज्रिणे॒ मधु॑ । यत्सी॑मुपह्व॒रे वि॒दत् ॥ (६)
जिस समय वज्रधारी इंद्र समीप में रखे हुए सोमरस को प्राप्त करते हैं, उस समय गाएं इंद्र के लिए मधुर दूध देती हैं जो सोमरस में मिलाया जा सके. (६)
At the time when Vajradhari Indra receives the Somras kept nearby, the cows give sweet milk to Indra which can be added to the Somras. (6)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 58
उद्यद्ब्र॒ध्नस्य॑ वि॒ष्टपं॑ गृ॒हमिन्द्र॑श्च॒ गन्व॑हि । मध्वः॑ पी॒त्वा स॑चेवहि॒ त्रिः स॒प्त सख्युः॑ प॒दे ॥ (७)
मैं एवं इंद्र जिस समय सूर्य के निवासस्थान में जाते हैं, उस समय मधुर सोमरस पीकर सबके सखा आदित्य के इक्कीस स्थानों में हम एकत्रित हों. (७)
When Indra and I go to the abode of the Sun, we should drink sweet somersas and gather in twenty-one places of Aditya, everyone's friend. (7)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 58
अर्च॑त॒ प्रार्च॑त॒ प्रिय॑मेधासो॒ अर्च॑त । अर्च॑न्तु पुत्र॒का उ॒त पुरं॒ न धृ॒ष्ण्व॑र्चत ॥ (८)
हे प्रियमेध ऋषि के वंश वाले लोगो! इंद्र की विशेष रूप से पूजा करो. तुम्हारे पुत्र और तुम इंद्र की इस प्रकार पूजा करो, जिस प्रकार शत्रु का नगर नष्ट करने वाले वीर की पूजा की जाती है. (८)
O people of the descendants of the sage Dearmedha! Worship Indra in particular. Worship your son and You Indra in the same way that the hero who destroys the enemy's city is worshipped. (8)
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