ऋग्वेद (मंडल 8)
ये द्रप्साइव रोदसी धमन्त्यनु वृष्टिभिः. उत्सं दुहन्तो अक्षितम्. (१६)
मरुद्गण संपूर्ण मेघ को दुहते हैं और पानी की बूंदों के समान वर्षा के द्वारा द्यावा- पृथिवी को ठीक से घेर लेते हैं. (१६)
Deserts milk the entire cloud and properly surround the earth by rain like drops of water. (16)