हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 28
ए॒ष वा॒जी हि॒तो नृभि॑र्विश्व॒विन्मन॑स॒स्पतिः॑ । अव्यो॒ वारं॒ वि धा॑वति ॥ (१)
ये गतिशील, अध्वर्यु द्वारा पात्र पर रखे हुए, सर्वज्ञ व स्तोत्र के स्वामी सोम भेड़ के बालों से बने दशापवित्र पर चलते हैं. (१)
These dynamic, placed on the vessel by Adhwaryu, walk on the dasapavittra made of the hair of the eternal and the lord of the hymn, Som sheep. (1)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 28
ए॒ष प॒वित्रे॑ अक्षर॒त्सोमो॑ दे॒वेभ्यः॑ सु॒तः । विश्वा॒ धामा॑न्यावि॒शन् ॥ (२)
देवों के लिए निचोड़े गए सोमदेव शरीरों में प्रवेश पाने के लिए दशापवित्र पर गिरते हैं. (२)
The Somdevs squeezed for the devas fall on the dashapavitra to gain entry into the bodies. (2)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 28
ए॒ष दे॒वः शु॑भाय॒तेऽधि॒ योना॒वम॑र्त्यः । वृ॒त्र॒हा दे॑व॒वीत॑मः ॥ (३)
ये मरणरहित, शत्रुहंता और देवों की अतिशय अभिलाषा करने वाले सोम अपने स्थान में शोभा पाते हैं. (३)
These deathless , enemy destroyer and deity seeking Som's adorn in their place. (3)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 28
ए॒ष वृषा॒ कनि॑क्रदद्द॒शभि॑र्जा॒मिभि॑र्य॒तः । अ॒भि द्रोणा॑नि धावति ॥ (४)
ये अभिलाषापूरक, शब्द करने वाले एवं दस उंगलियों द्वारा पकड़े हुए सोम काष्ठ से बने पात्र अर्थात्‌ द्रोण कलश की ओर जाते हैं. (४)
They go to the character i.e. Drona Kalash made of som wood, full of desire, word-making and holding with ten fingers. (4)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 28
ए॒ष सूर्य॑मरोचय॒त्पव॑मानो॒ विच॑र्षणिः । विश्वा॒ धामा॑नि विश्व॒वित् ॥ (५)
ये निचोड़े जाते हुए, सबके द्रष्टा, सबको जानने वाले सोम सूर्य के साथ-साथ सभी तेजस्वी पदार्थो को दीप्त करते हैं. (५)
While being squeezed, the seer of all, the Mon Sun who knows all, as well as all the bright things glow. (5)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 28
ए॒ष शु॒ष्म्यदा॑भ्यः॒ सोमः॑ पुना॒नो अ॑र्षति । दे॒वा॒वीर॑घशंस॒हा ॥ (६)
ये निचोड़े हुए सोम, शक्तिशाली, अहिंसनीय, देवों के रक्षक एवं पापनाशक होकर चलते हैं. (६)
They walk as squeezed mons, powerful, non-violent, protectors of the gods and sinners. (6)