हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.54.1

मंडल 9 → सूक्त 54 → श्लोक 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 54
अ॒स्य प्र॒त्नामनु॒ द्युतं॑ शु॒क्रं दु॑दुह्रे॒ अह्र॑यः । पयः॑ सहस्र॒सामृषि॑म् ॥ (१)
विद्वान्‌ ऋत्विज्‌ सोम के प्राचीन, दीप्तिशाली, उज्ज्वल, असीमित अभिलाषाओं को देने वाले एवं कर्मफल के द्रष्टा रस को दुहते हैं. (१)
Scholars milk the ancient, glorious, bright, unlimited desires of Ritvij Som and the seer of the fruit of karma. (1)