हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 11.5.1

अध्याय 11 → खंड 5 → मंत्र 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 11)

सामवेद: | खंड: 5
पिबा सोममिन्द्र मदन्तु त्वा यं ते सुषाव हर्यश्वाद्रिः । सोतुर्बाहुभ्याँ सुयतो नार्वा ॥ (१)
हे इंद्र! यजमान अपने दोनों हाथों से पत्थरों से कूटकूट कर सोमरस निकालते हैं. आप उस सोमरस को पी कर आनंदित हों. आप इसे पीजिए. आप अश्चों के स्वामी हैं. आप हमें भी अश्च जैसा बल प्रदान कीजिए. (१)
O Indra! The host removes somerasa by crushing with stones with both his hands. May you enjoy drinking that somersa. You drink it. You are the master of ashchas. You give us the same strength as ashach. (1)