हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 11.5.3

अध्याय 11 → खंड 5 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 11)

सामवेद: | खंड: 5
बोधा सु मे मघवन्वाचमेमां यां ते वसिष्ठो अर्चति प्रशस्तिम् । इमा ब्रह्म सधमादे जुषस्व ॥ (३)
हे इंद्र! आप धन के स्वामी हैं. आप यजमान की इस वाणी को सुनिए. वसिष्ठ ऋषि प्रशस्ति गान कर के आप की अर्चना कर रहे हैं. आप उन की प्रार्थना, ब्रह्माणी और हवि को स्वीकारिए. (३)
O Indra! You are the master of wealth. Listen to this voice of the host. Vasishtha Rishi is worshiping you by singing the praise. You accept their prayers, Brahmani and Havi. (3)