हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 11.6.1

अध्याय 11 → खंड 6 → मंत्र 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 11)

सामवेद: | खंड: 6
परि प्रिया दिवः कविर्वयाँसि नप्त्योर्हितः । स्वानैर्याति कविक्रतुः ॥ (१)
हे सोम! आप प्रिय, कवि, हितकारी हैं और लकड़ी की वेदी पर प्रतिष्ठित हैं. आप दीर्घायु दाता हैं. यज्ञ में आप का दिव्य रस अध्वर्यु (पुरोहित) की कृपा से प्राप्त होता है. (१)
O Mon! You are dear, poet, benefactor and distinguished at the wooden altar. You are a long-term giver. In the yajna, your divine juice is obtained by the grace of Adhwaryu (priest). (1)