सामवेद (अध्याय 12)
इन्द्रो मदाय वावृधे शवसे वृत्रहा नृभिः । तमिन्महत्स्वाजिषूतिमर्भे हवामहे स वाजेषु प्र नोऽविषत् ॥ (१)
हे इंद्र! आप मददाता व वृत्रनाशक हैं. आप अपने रक्षा साधनों से हमें बलवान बना सकते हैं. हम आप से उन रक्षा साधनों सहित युद्धों में अपनी रक्षा करने का अनुरोध करते हैं. आप हमारी रक्षा करने की कृपा कीजिए. (१)
O Indra! You are a helper and a chronicler. You can make us strong with your defence tools. We request you to defend yourself in wars, including those defence instruments. Please protect us. (1)