सामवेद (अध्याय 14)
यन्मन्यसे वरेण्यमिन्द्र द्युक्षं तदा भर । विद्याम तस्य ते वयमकूपारस्य दावनः ॥ (८)
हे इंद्र! आप वरेण्य व तेजस्वी हैं. आप हमें भरपूर समृद्धि (ऐश्वर्य) प्रदान कीजिए. उस धन को पा कर हम भी दानदाता की सामर्थ्य वाले हो जाएं. (८)
O Indra! You are fearless and stunning. May you give us abundant prosperity. By getting that money, we should also become the power of donors. (8)