सामवेद (अध्याय 16)
येन देवाः पवित्रेणात्मानं पुनते सदा । तेन सहस्रधारेण पावमानीः पुनन्तु नः ॥ (५)
देवतागण जिन से सदा अपने को निर्मल (पवित्र) बनाते हैं, वैसी ही हजारों धाराओं से वेदों के मंत्र हमें पवित्र बनाने की कृपा करें. (५)
May the deities always make themselves pure, may the mantras of the Vedas from thousands of streams make us pure. (5)