हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 19.1.5

अध्याय 19 → खंड 1 → मंत्र 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 19)

सामवेद: | खंड: 1
पवमानो असिष्यदद्रक्षाँस्यपजङ्घनत् । प्रत्नवद्रोचयन्रुचः ॥ (५)
पवित्र, शत्रुनाशक, प्रकाशमान और छना हुआ सोमरस द्रोणकलश में झरता है. (५)
The holy, hostile, luminous and filtered Someras flows in Dronakalash. (5)