ऋग्वेद (मंडल 1)
त्रि॒तः कूपेऽव॑हितो दे॒वान्ह॑वत ऊ॒तये॑ । तच्छु॑श्राव॒ बृह॒स्पतिः॑ कृ॒ण्वन्नं॑हूर॒णादु॒रु वि॒त्तं मे॑ अ॒स्य रो॑दसी ॥ (१७)
कुएं में गिरा हुआ त्रित ऋषि अपनी रक्षा के लिए देवों को बुलाता है. बृहस्पति ने उसे पाप रूप कुएं से निकालकर उसकी पुकार सुनी. हे धरती और आकाश! हमारी बात जानो. (१७)
The sage Trinity who has fallen into the well calls the gods for his protection. Jupiter took him out of the well in a sinful manner and heard his call. O earth and sky! Know our point. (17)