ऋग्वेद (मंडल 1)
यु॒धा युध॒मुप॒ घेदे॑षि धृष्णु॒या पु॒रा पुरं॒ समि॒दं हं॒स्योज॑सा । नम्या॒ यदि॑न्द्र॒ सख्या॑ परा॒वति॑ निब॒र्हयो॒ नमु॑चिं॒ नाम॑ मा॒यिन॑म् ॥ (७)
हे शत्रुध्वंसक इंद्र! तुम सदा युद्धशील रहते हो एवं अपने बल से शत्रुओं के एक नगर के बाद दूसरे का विनाश करते हो. हे इंद्र! तुमने वज्र की सहायता से दूर देश में वर्तमान, प्रसिद्ध, मायावी नमुचि नामक असुर का वध किया था. (७)
O enemy-sounding Indra! You are always warring and by your own strength destroy one city of enemies after another. O Indra! You killed the present, famous, elusive asura named Namuchi in a distant land with the help of the thunderbolt. (7)