ऋग्वेद (मंडल 8)
उदी॑राथामृताय॒ते यु॒ञ्जाथा॑मश्विना॒ रथ॑म् । अन्ति॒ षद्भू॑तु वा॒मवः॑ ॥ (१)
अश्चिनीकुमारो! यज्ञ की अभिलाषा करने वाले मेरे लिए उन्नत बनो एवं यज्ञ में आने के लिए रथ में घोड़े जोड़ो. तुम्हारी रक्षा हमारे समीप रहे. (१)
Aschinikumaro! Be elevated to me who wish for the yajna and add horses to the chariot to come to the yajna. May your defense be near us. (1)
ऋग्वेद (मंडल 8)
नि॒मिष॑श्चि॒ज्जवी॑यसा॒ रथे॒ना या॑तमश्विना । अन्ति॒ षद्भू॑तु वा॒मवः॑ ॥ (२)
हे अश्विनीकुमारो! आंखों के निमेष से भी अधिक गतिशील रथ द्वारा हमारे यज्ञ में आओ. तुम्हारी रक्षा हमारे समीप रहे. (२)
O Ashwinikumaro! Come to our yagna by a chariot more moving than the appearance of the eyes. May your defense be near us. (2)
ऋग्वेद (मंडल 8)
उप॑ स्तृणीत॒मत्र॑ये हि॒मेन॑ घ॒र्मम॑श्विना । अन्ति॒ षद्भू॑तु वा॒मवः॑ ॥ (३)
हे अश्विनीकुमारो! असुरों द्वारा अग्नि में फेंके हुए अत्रि ऋषि की जलन दूर करने के लिए जल छिड़को. तुम्हारी रक्षा हमारे समीप रहे. (३)
O Ashwinikumaro! Sprinkle water to remove the irritation of the sage Atri thrown into the agni by the asuras. May your defense be near us. (3)
ऋग्वेद (मंडल 8)
कुह॑ स्थः॒ कुह॑ जग्मथुः॒ कुह॑ श्ये॒नेव॑ पेतथुः । अन्ति॒ षद्भू॑तु वा॒मवः॑ ॥ (४)
हे अश्विनीकुमारो! तुम कहां हो, कहां जाते हो और बाज के समान कहां गिरते हो? तुम्हारी रक्षा हमारे समीप रहे. (४)
O Ashwinikumaro! Where are you, where do you go, and where do you fall like a hawk? May your defense be near us. (4)
ऋग्वेद (मंडल 8)
यद॒द्य कर्हि॒ कर्हि॑ चिच्छुश्रू॒यात॑मि॒मं हव॑म् । अन्ति॒ षद्भू॑तु वा॒मवः॑ ॥ (५)
हे अश्विनीकुमारो! हमें यह पता नहीं है कि आज तुम कहां और कब हमारी पुकार सुनोगे? तुम्हारी रक्षा हमारे पास रहे. (५)
O Ashwinikumaro! We don't know where and when you will hear our call today. Your defenses stay with us. (5)
ऋग्वेद (मंडल 8)
अ॒श्विना॑ याम॒हूत॑मा॒ नेदि॑ष्ठं या॒म्याप्य॑म् । अन्ति॒ षद्भू॑तु वा॒मवः॑ ॥ (६)
मैं उचित समय पर बुलाने योग्य अश्चिनीकुमारों एवं उनके समीपवर्ती बंधुओं के पास जाता हूं. तुम्हारी रक्षा हमारे पास रहे. (६)
I go to the ashchinikumaras and their immediate brothers who are called at the appropriate time. Your defenses stay with us. (6)
ऋग्वेद (मंडल 8)
अव॑न्त॒मत्र॑ये गृ॒हं कृ॑णु॒तं यु॒वम॑श्विना । अन्ति॒ षद्भू॑तु वा॒मवः॑ ॥ (७)
हे अश्चिनीकुमारो! तुमने अत्रि की रक्षा के लिए घर बनाया था. तुम्हारी रक्षा हमारे समीप रहे. (७)
O aschinikumaro! You built a house to protect Atri. May your defense be near us. (7)
ऋग्वेद (मंडल 8)
वरे॑थे अ॒ग्निमा॒तपो॒ वद॑ते व॒ल्ग्वत्र॑ये । अन्ति॒ षद्भू॑तु वा॒मवः॑ ॥ (८)
हे अश्चिनीकुमारो! मनोहर स्तुति करने वाले की उष्णता से रक्षा करो. तुम्हारी रक्षा हमारे समीप रहे. (८)
O aschinikumaro! Protect the one who praises the charming praise from the heat. May your defense be near us. (8)