हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 39
आ॒शुर॑र्ष बृहन्मते॒ परि॑ प्रि॒येण॒ धाम्ना॑ । यत्र॑ दे॒वा इति॒ ब्रव॑न् ॥ (१)
हे महान्‌ बुद्धि वाले सोम! देवों के अतिशय प्रिय शरीर में धारा के द्वारा शीघ्र गमन करो. तुम यह कहते हुए जाओ-“जहां देव हैं, मैं वहीं जा रहा हूं.” (१)
O mon of great wisdom! Make a quick passage through the stream into the most beloved body of the gods. You go saying, "Where God is, there I am going." (1)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 39
प॒रि॒ष्कृ॒ण्वन्ननि॑ष्कृतं॒ जना॑य या॒तय॒न्निषः॑ । वृ॒ष्टिं दि॒वः परि॑ स्रव ॥ (२)
हे सोम! तुम असंस्कृत स्थान को संस्कृत करते हुए एवं यज्ञ करने वाले यजमान को जन्म देते हुए आकाश से बरसो. (२)
Hey Mon! You rain from the sky, sanskritizing the uncultured place and giving birth to the host who performs yajna. (2)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 39
सु॒त ए॑ति प॒वित्र॒ आ त्विषिं॒ दधा॑न॒ ओज॑सा । वि॒चक्षा॑णो विरो॒चय॑न् ॥ (३)
दीप्ति धारण करते हुए एवं सबको देखते हुए निचोड़े गए सोम सबको दीप्त बनाते हैं एवं अपनी शक्ति से दशापवित्र पर जाते हैं. (३)
Wearing a lamp and looking at everyone, the squeezed Monma makes everyone glow and goes to Dashapavitra with his power. (3)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 39
अ॒यं स यो दि॒वस्परि॑ रघु॒यामा॑ प॒वित्र॒ आ । सिन्धो॑रू॒र्मा व्यक्ष॑रत् ॥ (४)
दशापवित्र पर सींचे जाते हुए सोम पानी की लहरों के रूप में टपकते हैं एवं झुलोक के ऊपर तेज चाल से जाते हैं. (४)
Being sewn on the dashapavittra, the mons drip as waves of water and move at a fast speed over the jhuloka. (4)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 39
आ॒विवा॑सन्परा॒वतो॒ अथो॑ अर्वा॒वतः॑ सु॒तः । इन्द्रा॑य सिच्यते॒ मधु॑ ॥ (५)
निचुड़े हुए सोम दूरवर्ती एवं समीपवर्ती देवों तथा इंद्र की सेवा के लिए मधु के समान सींचे जाते हैं. (५)
The stagnant somas are sewn like honey to serve the distant and adjacent devas and Indra. (5)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 39
स॒मी॒ची॒ना अ॑नूषत॒ हरिं॑ हिन्व॒न्त्यद्रि॑भिः । योना॑वृ॒तस्य॑ सीदत ॥ (६)
हे देवो! भली प्रकार मिले हुए स्तोता स्तुतियां करते हैं एवं पत्थरों की सहायता से हरे रंग के सोम को प्रेरित करते हैं. इसलिए तुम यज्ञ में बैठो. (६)
Oh, God! Well-mixed stotas make praises and inspire the green som with the help of stones. So sit in the yajna. (6)