ऋग्वेद (मंडल 9)
सा॒क॒मुक्षो॑ मर्जयन्त॒ स्वसा॑रो॒ दश॒ धीर॑स्य धी॒तयो॒ धनु॑त्रीः । हरिः॒ पर्य॑द्रव॒ज्जाः सूर्य॑स्य॒ द्रोणं॑ ननक्षे॒ अत्यो॒ न वा॒जी ॥ (१)
एक साथ सींचने वाली एवं परस्पर बहिनों के समान दस उंगलियां सोम को शुद्ध करती हैं. वे उंगलियां धीर सोम की प्रेरक हैं. हरे रंग वाले सोम सूर्य की पत्नी दिशाओं की ओर जाते हैं. सोम तेज चलने वाले घोड़े के समान द्रोणकलश में जाते हैं. (१)
Ten fingers, like watering and inter-sisters, together purify the mon. Those fingers are the motivators of Dhir Som. The green-coloured Mons go towards the sun's wife directions. Som goes to Dronakalash like a fast-moving horse. (1)
ऋग्वेद (मंडल 9)
सं मा॒तृभि॒र्न शिशु॑र्वावशा॒नो वृषा॑ दधन्वे पुरु॒वारो॑ अ॒द्भिः । मर्यो॒ न योषा॑म॒भि नि॑ष्कृ॒तं यन्सं ग॑च्छते क॒लश॑ उ॒स्रिया॑भिः ॥ (२)
जैसे माताएं बच्चे को धारण करती हैं, उसी प्रकार देवों की अभिलाषा करने वाले, अभिलाषापूरक एवं बहुतों द्वारा वरण करने योग्य सोम जल द्वारा धारण किए जाते हैं. पुरुष जिस प्रकार नारी के पास जाता है, उसी प्रकार सोम अपने संस्कृत स्थान में जाते हुए द्रोणकलश में गाय के दूध-दही आदि से मिलते हैं. (२)
Just as mothers hold a child, so so are the desires of the gods, the desire-givers, and the ones who are chosen by many, by the soma water. Just as a man goes to the woman, soma goes to his Sanskrit place and meets cow's milk-curd etc. in Dronakalash. (2)
ऋग्वेद (मंडल 9)
उ॒त प्र पि॑प्य॒ ऊध॒रघ्न्या॑या॒ इन्दु॒र्धारा॑भिः सचते सुमे॒धाः । मू॒र्धानं॒ गावः॒ पय॑सा च॒मूष्व॒भि श्री॑णन्ति॒ वसु॑भि॒र्न नि॒क्तैः ॥ (३)
सोम गाय के थनों को दूध से भरते हैं. शोभन बुद्धि वाले सोम धाराओं के रूप में नीचे गिरते हैं. जिस प्रकार धुले हुए कपड़े से कोई वस्तु ढक दी जाती है, उसी प्रकार गाएं अपने श्वेत दूध से चमू नामक पात्र में रखे हुए सोम को ढकती हैं. (३)
Mon fills the cow's trunks with milk. Shobhan falls down as the intellected Mon streams. Just as an object is covered with a washed cloth, similarly, the cows cover the som placed in a vessel called Chamu with their white milk. (3)
ऋग्वेद (मंडल 9)
स नो॑ दे॒वेभिः॑ पवमान र॒देन्दो॑ र॒यिम॒श्विनं॑ वावशा॒नः । र॒थि॒रा॒यता॑मुश॒ती पुरं॑धिरस्म॒द्र्य१॒॑गा दा॒वने॒ वसू॑नाम् ॥ (४)
हे शुद्ध होते हुए सोम! तुम देवों के साथ मिलकर हमें धन दो. हे सोम! तुम देवों की अभिलाषा करते हुए हमें अश्व वाला धन दो. हम रथस्वामी लोगों की अभिलाषा करने वाली सोम की बुद्धि अनेक प्रकार का धन देने के लिए हमारे सामने आवे. (४)
O you are pure, Mon! You together with the gods give us wealth. Hey Mon! You wish the gods and give us the riches of the horse. Let us come before us to give many kinds of wealth to the wisdom of Som, who wishes for the chariot-bearers. (4)
ऋग्वेद (मंडल 9)
नू नो॑ र॒यिमुप॑ मास्व नृ॒वन्तं॑ पुना॒नो वा॒ताप्यं॑ वि॒श्वश्च॑न्द्रम् । प्र व॑न्दि॒तुरि॑न्दो ता॒र्यायुः॑ प्रा॒तर्म॒क्षू धि॒याव॑सुर्जगम्यात् ॥ (५)
हे शुद्ध होते हुए सोम! तुम हमारे लिए शीघ्र संतानयुक्त धन दो, जल को सबका आनंददाता बनाओ व स्तोता की आस्था बढ़ाओ. हे बुद्धि द्वारा धन प्राप्त करने वाले सोम! जल्दी हमारे यज्ञ की ओर आओ. (५)
O you are pure, Mon! You give us quick children's money, make water a pleasure for all, and increase the faith of the stota. O Mon who receives wealth by wisdom! Come quickly to our yajna. (5)