हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद (अध्याय 21)

सामवेद: | खंड: 1
कस्ते जामिर्जनानामग्ने को दाश्वध्वरः । को ह कस्मिन्नसि श्रितः ॥ (१)
हे अग्नि! मनुष्यों में कौन आप का सगा, पथ प्रदर्शक, यज्ञकर्ता व आप के स्वरूप का ज्ञाता है? आप का आश्रय कहां है? (१)
O agni! Who among human beings is your real, guide, sacrificer and knower of your nature? Where is your shelter? (1)

सामवेद (अध्याय 21)

सामवेद: | खंड: 1
त्वं जामिर्जनानामग्ने मित्रो असि प्रियः । सखा सखिभ्य ईड्यः ॥ (२)
हे अग्नि! मनुष्यों में कौन आप का मित्र है, प्रिय है? सखा सखियों में कौन आप को सर्वाधिक प्रिय है? (२)
O agni! Who among men is your friend, dear? Who among the Sakha Sakhis is most dear to you? (2)

सामवेद (अध्याय 21)

सामवेद: | खंड: 1
यजा नो मित्रावरुणा यजा देवाँ ऋतं बृहत् । अग्ने यक्षि स्वं दमम् ॥ (३)
हे अग्नि! आप हमारे लिए मित्र और वरुण की पूजा करने की कृपा कीजिए. आप बहुत से देवताओं की पूजा करने की कृपा कीजिए. आप यज्ञ की पूजा कीजिए. (३)
O agni! Please worship friends and Varuna for us. Please worship many gods. You worship the yajna. (3)

सामवेद (अध्याय 21)

सामवेद: | खंड: 1
ईडेन्यो नमस्यस्तिरस्तमाँसि दर्शतः । समग्निरिध्यते वृषा ॥ (४)
हे अग्नि! आप पूजनीय, नमन के योग्य, तमहारी व दर्शनीय हैं. आप को समिधाओं से भलीभांति प्रज्वलित किया जाता है. (४)
O agni! You are revered, worthy of salutation, tamhari and visible. You are well lit with samidhas. (4)

सामवेद (अध्याय 21)

सामवेद: | खंड: 1
वृषो अग्निः समिध्यतेऽश्वो न देववाहनः । तँ हविष्मन्त ईडते ॥ (५)
हे अग्नि! आप शक्तिशाली हैं. घोड़े जैसे वाहन को ले जाते हैं, वैसे ही आप देवताओं के वाहन को ले जाते हैं. हे हविमान! आप हमारी प्रार्थनाएं स्वीकारिए. (५)
O agni! You are powerful. Just as horses carry a vehicle, so you carry the vehicle of the gods. O Haviman! You accept our prayers. (5)

सामवेद (अध्याय 21)

सामवेद: | खंड: 1
वृषणं त्वा वयं वृषन्वृषणः समिधीमहि । अग्ने दीद्यतं बृहत् ॥ (६)
हे अग्नि! आप शक्तिमान हैं. हम शक्तिमान आप को प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं. हम समिधाओं से आप को प्रज्वलित करते हैं. आप दीप्तिमान व विशाल हैं. (६)
O agni! You are powerful. We wish to get the powerful you. We ignite you with samidhas. You are radiant and huge. (6)

सामवेद (अध्याय 21)

सामवेद: | खंड: 1
उत्ते बृहन्तो अर्चयः समिधानस्य दीदिवः । अग्ने शुक्रास ईरते ॥ (७)
हे अग्नि! हम समिधाओं से आप को प्रज्वलित करते हैं. हमारी अधिक अर्चना से आप ज्चालाओं से बढ़ोतरी प्राप्त करते हैं. (७)
O agni! We ignite you with samidhas. With more of our archana, you get an increase from the hikes. (7)

सामवेद (अध्याय 21)

सामवेद: | खंड: 1
उप त्वा जुह्वो३ मम घृताचीर्यन्तु हर्यत । अग्ने हव्या जुषस्व नः ॥ (८)
हे अग्नि! हमारी घी से भरी हुई हवि आप का मन हरे. वह आप तक पहुंचे. हे अग्नि! आप हमारी उपासना को स्वीकार करने की कृपा कीजिए. (८)
O agni! Our ghee-filled havi is green in your mind. He reached out to you. O agni! Please accept our worship. (8)
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