सामवेद (अध्याय 9)
ऋतेन यावृतावृधावृतस्य ज्योतिषस्पती । ता मित्रावरुणा हुवे ॥ (५)
मित्र और वरुण देवता यजमान पर दयालु हैं. वे सत्यमार्गियों पर कृपालु हैं. उन प्रकाशमान मित्र और वरुण देवताओं का हम आह्वान करते हैं. (५)
Friends and Varuna devta are kind to the host. They are kind to the truthful. We invoke those bright friends and Varuna gods. (5)