हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद (अध्याय 13)

सामवेद: | खंड: 2
सना च सोम जेषि च पवमान महि श्रवः । अथा नो वस्यसस्कृधि ॥ (१)
हे सोम! आप पवित्र हैं. आप बहुत उपासना के योग्य हैं. आप देवताओं के पास जाइए. आप शत्रुओं को जीतने के बाद हमें यशस्वी बनाने की कृपा कीजिए. (१)
O Mon! You are holy. You deserve a lot of worship. You go to the gods. Please make us successful after conquering your enemies. (1)

सामवेद (अध्याय 13)

सामवेद: | खंड: 2
सना ज्योतिः सना स्वा३र्विश्वा च सोम सौभगा । अथा नो वस्यसस्कृधि ॥ (२)
हे सोम! आप हमें ज्योतिर्मय बनाइए. आप हमें स्वर्गिक सुख दीजिए. आप हमें सौभाग्यवान एवं शत्रुविजय के बाद यशस्वी बनाइए. (२)
O Mon! You make us luminous. May you give us heavenly happiness. You make us fortunate and successful after enemy victory. (2)

सामवेद (अध्याय 13)

सामवेद: | खंड: 2
सना दक्षमुत क्रतुमप सोम मृधो जहि । अथा नो वस्यसस्कृधि ॥ (३)
हे सोम! आप हमें बलवान व कर्तव्यपरायण बनाइए. शत्रुनाश कर के आप हमें सुखी बनाइए. (३)
O Mon! You make us strong and dutiful. Destroy enemies and make us happy. (3)

सामवेद (अध्याय 13)

सामवेद: | खंड: 2
पवीतारः पुनीतन सोममिन्द्राय पातवे । अथा नो वस्यसस्कृधि ॥ (४)
हे यजमानो! आप सोम को पवित्र करने वाले हैं. आप इंद्र के पीने के लिए सोमरस पवित्र कीजिए और हमारा कल्याण करने की कृपा कीजिए. (४)
O hosts! You are going to sanctify Som. You sanctify Someras for Indra to drink and please do us welfare. (4)

सामवेद (अध्याय 13)

सामवेद: | खंड: 2
त्वँ सूर्ये न आ भज तव क्रत्वा तवोतिभिः । अथा नो वस्यसस्कृधि ॥ (५)
हे सोम! आप अपने रक्षा साधनों से हमें सूर्य को भजने के लिए प्रेरित कीजिए. आप हमारा हित साधने की कृपा कीजिए. (५)
O Mon! You inspire us to worship the sun with your defense tools. Please serve our interest. (5)

सामवेद (अध्याय 13)

सामवेद: | खंड: 2
तव क्रत्वा तवोतिभिर्ज्योक्पश्येम सूर्यम् । अथा नो वस्यसस्कृधि ॥ (६)
हे सोम! आप के रक्षा साधनों और ज्ञान से हम दीर्घ काल तक सूर्य के दर्शन करने में समर्थ हो सकें. आप हमें दीर्घायु प्रदान करने की कृपा कीजिए. (६)
O Mon! With your defense tools and knowledge, we can be able to see the sun for a long time. Please give us long life. (6)

सामवेद (अध्याय 13)

सामवेद: | खंड: 2
अभ्यर्ष स्वायुध सोम द्विबर्हसँ रयिम् । अथा नो वस्यसस्कृधि ॥ (७)
हे सोम! आप आयुधधारी हैं. आप हमें इहलौकिक और पारलौकिक धन व सुख देने की कृपा कीजिए. (७)
O Mon! You are an armamentary. Please give us spiritual and transcendental wealth and happiness. (7)

सामवेद (अध्याय 13)

सामवेद: | खंड: 2
अभ्या३र्षानपच्युतो वाजिन्त्समत्सु सासहिः । अथा नो वस्यसस्कृधि ॥ (८)
हे सोम! आप युद्ध क्षेत्र में विजयी होते हैं. आप शत्रुओं को हराने वाले हैं. आप द्रोणकलश में चूने (टपकने) और हमारा कल्याण करने की कृपा कीजिए. (८)
O Mon! You emerge victorious in a war zone. You are going to defeat enemies. Please do lime (dripping) in Dronakalsh and do us welfare. (8)
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